शिक्षाविद, समाजसेवी और खिलाड़ी उस्मानी का निधन

कुचामन सिटी। शहर के प्रतिष्ठित शिक्षाविद, समाजसेवी और खिलाड़ी रफ़ीक़ अहमद उस्मानी का निधन हो गया। उनके निधन पर कई गणमान्य लोगों ने शोक व्यक्त करते हुए कहाकि उस्मानी का जाना एक युग का अंत है। उनके निधन से शहर को अपूरणीय क्षति पहुंची है।
रफ़ीक़ अहमद उस्मानी ने पहले शिक्षक और बाद में ज़िला शिक्षा अधिकारी पद पर रहते हुए नागौर ज़िले और कुचामन सिटी में शिक्षा के उत्थान के लिए बहुत काम किया। क्षेत्र में नई सरकारी स्कूलें खुलवाने और क्रमोन्नत करवाने में उनका अनुकरणीय योगदान है। वह अपने विद्यार्थियों के बीच ‘गणित के जादूगर’ के नाम से मशहूर थे। वह मुश्किल से मुश्किल गणितीय फॉर्मूले को बहुत आसान तरीके से समझा देते थे। इसका फायदा यह हुआ कि विज्ञान और गणित की शिक्षा के रूप में कुचामन सिटी बहुत फला फूला और आज नतीजा यह है कि कुचामन सिटी शिक्षा के फलक पर एक चांद की तरह चमक रहा है। उनके शिष्य पूरी दुनिया में आज हर क्षेत्र में शहर, राज्य और देश का नाम रोशन कर रहे हैं। राजकीय सेवा से निवृत्ति के बाद उन्होंने मुस्लिम एजुकेशनल एंड वेलफ़ेयर सोसाइटी का गठन किया और इसके संरक्षक के नाते हज़ारों विद्यार्थी उनसे लाभान्वित हुए।
उस्मानी बहुत मंजे हुए फुटबॉल खिलाड़ी थे। वह राजस्थान फुटबॉल संघ के महासचिव पद पर रहे और अनुभवी रैफ़्री में उनका नाम आता है। राजस्थान के चंद गिने चुने मान्यता प्राप्त रैफ़्री में उस्मानी का नाम आता है। जोधपुर विश्वविद्यालय से पढ़ाई के दौरान वह यूनिवर्सिटी कप्तान रहे और अन्तर विश्वविद्यालयी कई प्रतियोगिताओं में जोधपुर विश्वविद्यालय को जितवाया। राजस्थान की तरफ़ से कई मैच खेले और जीते। राष्ट्रीय फ़ुटबॉल मैच में वह राजस्थान की शान माने जाते थे। वह एक बेहतरीन मिड फ़ील्डर थे और कहा जाता है कि उनके पास बॉल आने के बाद इसे छीनना लगभग नामुमकिन होता था।
एक समाजसेवी के रूप में रफ़ीक़ अहमद उस्मानी ने बहुत कार्य किया। शिक्षा के अतिरिक्त पर्यावरण और सामुदायिक सौहार्द में उनका नाम था। कुचामन नगर पालिका की तरफ से शिक्षा के क्षेत्र में दिए जाने वाले प्रतिष्ठित ‘कुचामन रत्न’ पुरस्कार पाने वाली वह पहली और अब तक की अकेली हस्ती हैं। एक शानदार कवि के नाते उनके लिखे गए कई देशभक्ति गीतों का कम्पोजिशन आज भी चलन में है। उनकी कविता ‘हिन्दोस्तां, हिन्दोस्ता, फिर बने रश्के जहां’ आज भी लोगों के ज़हन में ताज़ा हैं।
रफ़ीक़ उस्मानी के कई विद्यार्थी भारतीय और राज्य प्रशासनिक सेवा के लिए चयनित हुए। केन्द्रीय, राज्य और सेना की सेवा में उनके बेशुमार विद्यार्थी चयनित हुए। ग़रीब और प्रतिभाशाली बच्चों को निशुल्क शिक्षा उनका सपना था और इस भावना को उन्होंने अंतिम दम तक निभाया। वह पिछले कई दिनों से बीमार थे। शनिवार को जयपुर में इलाज के दौरान उनका निधन हो गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *