मोदी सरकार जैन समाज के “मन की बात” को समझे – श्रमण डॉ. पुष्पेन्द्र

केन्द्रीय मंत्री को प्रेषित पत्र

पवित्र तीर्थ घोषित हो सम्मेद शिखरजी 

21 दिसंबर 2022: 

झारखंड में स्थित प्रमुख जैन तीर्थ क्षेत्र को पर्यटन स्थल के रूप में घोषित किये जाने के खिलाफ देश भर के जैन समाज में रोष व्याप्त है। इसी क्रम में श्रमण डॉ. पुष्पेन्द्र ने केन्द्रीय वन व पर्यावरण मंत्री भूपेन्द्र यादव व झारखंड मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि झारखंड स्थित सम्मेद शिखरजी जैन समाज के धर्मावलंबियों का एक प्रमुख तीर्थ स्थान है। केंद्र सरकार और झारखंड प्रदेश सरकार ने उसे पर्यटन स्थल घोषित कर दिया है। शिखरजी जैन समाज का तीर्थ है, इसलिए उसे तीर्थ स्थान के रूप में ही डेवलप किया जाए। उसे पर्यटन का स्थल नहीं बनाना चाहिए। केंद्र और राज्य सरकार पर्यटन और तीर्थ क्षेत्र के बीच का अंतर समझे।

श्रमण डॉ पुष्पेन्द्र ने कहा कि वर्तमान में मोदी सरकार मंदिरों के संरक्षण व संवर्धन में कार्य कर रही है पर जैन समाज की इस माँग पर सरकार अभी तक चुप्पी साधे है, जो कि समझ से परे है। प्रधानमंत्री मोदी जी जैन समाज के मन की बात को समझ कर सम्मेद शिखरजी को पवित्र तीर्थ स्थल घोषित करे।

सम्मेद शिखरजी पर्यटन के रूप में या वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के रूप में समाज को कतई स्वीकार्य नहीं है। जैन समाज नहीं चाहता कि यहां पर पर्यटन रूपी सुविधाओं की शुरुआत की जाए। अतीत में कई बार पर्यटक टोंकों पर जूते चप्पल ले जाकर उसकी पवित्रता को भंग करते हैं, वहीं कुछ पर्यटक के रूप में यहां आकर मांस आदि बनाकर उसका भक्षण तक करते हैं, जो कि इस तीर्थ की  पवित्रता को तार-तार करता है। जैन समाज यहां की बुनियादी सुविधाओं के बदले इसे पर्यटन में बदलना  कभी स्वीकार नहीं कर सकता और इसकी धार्मिक पृष्ठभूमि को  कभी भी दूसरे रूप में नहीं बदला जाए, इसकी पुरजोर मांग करता है।

श्रमण डॉ. पुष्पेन्द्र ने कहा कि जैन समाज अहिंसक,शांतिप्रिय, समाज व राष्ट्र निर्माण में बहुत बड़ा व महत्वपूर्ण योगदान देने वाला समाज है । देश पर जब कोई संकट आया जैन समाज ने अग्रणी भूमिका निभाई। जैन समाज कि इस उचित माँग पर सरकार अवश्य गौर करे।

क्‍या है मान्‍यता 

झारखंड में गिरिडीह जिले में पारसनाथ पहाड़ है. इस पहाड़ की ऊँचाई 

4430 फुट है। जिसे सम्‍मेद शिखर जी के नाम से जाना जाता है. ऐसी मान्‍यता है कि यहां 23वें जैन तीर्थंकर पारसनाथ के नाम पर इस पहाड़ी का नाम रखा गया. जैन धर्म में 24 तीर्थंकर हुए हैं. जिसमें से इस पर्वत से जैन धर्म के बीस तीर्थंकरों और असंख्य संतों का मोक्षस्थल है। जैन समाज इसे शाश्वत तीर्थ के रूप में मानता है। हाल ही में केंद्र सरकार ने इस तीर्थ क्षेत्र को पर्यटन स्थल के रूप में घोषित कर दिया है। इस घोषणा के साथ ही पूरे देश में विरोध शुरू हो गया है।

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