जल संरक्षण व संवर्द्धन की परम्पराएँ: लूणी नदी के विशेष संदर्भ में दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला मेहरानगढ़ में 4 व 5 अक्टूबर को

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जोधपुर, दिनांकः-02.10.2023। दीनदयाल शोध संस्थान, मेहरानगढ़ म्यूज़ियम ट्रस्ट एवं इण्टैक जोधपुर चैप्टर एवं इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के संयुक्त तत्वावधान में ‘‘जल संरक्षण व संवर्द्धन की परम्पराएँ: लूणी नदी के विशेष संदर्भ में’’ दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन मेहरानगढ़ के चौकेलाव महल में 4 व 5 अक्टूबर, 2023 को किया जायेगा, जिसमें विषय विशेषज्ञों द्वारा इस प्राचीन व ऐतिहासिक नदी को बचाने के सम्बन्ध में सम्मिलित प्रयास किये जायेंगे।
इण्टैक जोधपुर चैप्टर के संयोजक डॉ. महेन्द्रसिंह तंवर ने बताया कि प्राचीन एवं ऐतिहासिक लूणी नदी के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए पिछले कई वर्षों से आमजन और विशिष्ट लोगों द्वारा प्रयास किये जा रहे हैं। लूणी नदी का उद्गम राजस्थान के अजमेर जिले में 772 मीटर की ऊंचाई पर स्थित नाग की पहाड़ियों से होता है। ये नदी अजमेर से निकल कर दक्षिण-पश्चिम राजस्थान नागौर, जोधपुर, पाली, बाड़मेर, जालोर जिलों से होकर बहती हुई गुजरात के कच्छ जिले में प्रवेश करती और कच्छ के रण में विलुप्त हो जाती है। 495 किलोमीटर लम्बाई समेटे इस नदी की राजस्थान में कुल लम्बाई 330 किलोमीटर है। इस नदी की विशेषता यह है कि इस नदी का पानी बाड़मेर के बालोतरा गांव के बाद खारा हो जाता है। प्रारम्भिक 100 किलोमीटर तक इसका पानी मीठा रहता है। इसके पानी से कई जिलों में सिंचाई की जाती है। स्थानीय लोगों द्वारा इस नदी की पूजा-अर्चना की जाती है। प्राकृतिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी इस नदी का विशेष महत्व रहा है। गत एक दशक से अधिक समय से उपेक्षा और आमजन की अवहेलना के कारण इस नदी के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है। इस नदी के संरक्षण की मांग लम्बे समय से की जा रही है।
इसी के तहत मेहरानगढ़ में दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यशाला का उद्घाटन 4 अक्टूबर, 2023 को प्रातः 11ः00 बजे होगा, जिसके मुख्य अतिथि माननीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेन्द्रसिंहजी शेखावत होंगे तथा अध्यक्षता महाराजा श्री गजसिंहजी करेंगे। विशिष्ट अतिथि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के सदस्य सचिव श्री सच्चिदानन्द जोशी होंगे तथा मुख्य वक्ता दीनदयाल शोध केन्द्र के महासचिव श्री अतुल जैन एवं बाड़मेर इण्टैक के संयोजक रावल किशनसिंहजी होंगे।
इस दो दिवसीय कार्यशाला में पांच तकनीकी सत्रों का आयोजन होगा तथा 5 अक्टूबर, 2023 को सायं 4.15 बजे समापन समारोह प्रारम्भ होगा। समापन समारोह के मुख्य अतिथि पदम्श्री लक्ष्मणसिंहजी लापोड़िया होंगे एवं अध्यक्षता जस्टिम रघुवेन्द्रसिंहजी राठौड़ करेंगे। श्री अमनसिंह व ठाकुर उम्मेदसिंह अराबा विशिष्ट अतिथि के रूप में सम्मिलित होंगे।
दो दिवसीय कार्यशाला में दिल्ली, गुजरात, अलवर, उदयपुर, जोधपुर, बाड़मेर, पाली, नागौर इत्यादि के विषय विशेषज्ञ भाग लेंगे और इसके संरक्षण, संवर्द्धन के साथ ही लूणी प्राचीन इतिहास और इसकी महत्ता से रूबरू करवायेंगे।

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